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User:Periwinkle lace/sandbox

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पाटिसापटा बंगालियों का एक बहुत ही जनप्रिय मिठाई है। यह पौष संक्रांति के दिन बनाया और खाया जाता है। वैसे तो ठंड के मौसम में नोलेन गुड़, चावल का आटा तथा मैदा के संयोग से बंगाली घरों में विभिन्न प्रकार की मिठाईयां बनाईं जाती है। परंतु पौष महीने के आखिरी दिन अर्थात संक्रांति के दिन पाटिसापटा का बनना तो बंगाली घरों में अनिवार्य है। यह मिठाई जो एक प्रकार का पिठा है, बूढ़े बच्चों तथा अन्य सभी को बहुत ही प्रिय है। क्यों कि यह बहुत ही नरम और मुलायम सा होता है। इसलिए पाटिसापटा की जनप्रियता इतनी ज्यादा है। सोलह शतक के अंत में कविकंकन मुकुंदराम चक्रवर्ती द्वारा रचित चंडिकाब्य में इस मिठाई का उल्लेख पाया गया था। यह पिठा बांग्लादेश तथा भारत के पश्चिम बंग राज्य में बहुत जनप्रिय है।विभुतिभुषण बंदोपाध्याय द्वारा रचित छोटी कहानी पुंई माचा में भी पाटिसापटा पिठा का उल्लेख पाया गया है। ठिठुरते हुए ठंड में कांपते कांपते पाटिसापटा खाने का मजा ही अलग है। नोलेन गुड़ का सुगंध इस पाटिसापटा को अतुलनीय बना देता है। बंगाल के पाटिसापटा के इतिहास का विभिन्न धर्मीय तथा सामाजिक उत्सवों के साथ एक निबिड़ सम्पर्क है।पाटिसापटा का भराई दुध के खीर तथा खोया या नारियल से किया जाता है। यह मिठाई मुंह में घुल जाने वाला होता है। मैदा,सुजि, नारियल, चावल का आटा,नोलेन गुड़,खेजुर गुड़, दुध,मावा, खोया, चीनी इन सभी सामग्रियों के संयोग से बनने वाला यह एक बहुत ही मुखरोचक तथा लोभनीय मिठाई है। Cite error: A <ref> tag is missing the closing </ref> (see the help page).</ref></ref></ref>[1]

  1. ^ "Patishapta/ Bengali sweet Crepes with Jaggery - Coconut filling". Not Out of the Box. {{cite web}}: |access-date= requires |url= (help); |first1= missing |last1= (help); Check date values in: |access-date= (help); Missing or empty |url= (help)